‘...हाथी घोड़ा पालनकी, जय कन्हैयालाल की’



श्रीमद्भागवत कथा के चौथे दिन मनाया कृष्ण जन्मोत्सव

मैं भगवान का हूं तथा भगवान मेरे है, यह कामना सदैव अपने मन में बनाए रखनी चाहिए। उक्त विचार पं. अशोक भाई दाधीच ने शनिवार को प्रवचन के दौरान व्यक्त किए।
क्षेत्र के प्रसिद्ध श्रीबेगसरबालाजी मन्दिर में चल रही श्रीमद्ïभागवत कथा के चौथे दिन कथावान करते हुए उन्होनें कहा कि भगवान तो सर्वव्यापी है तथा प्राणी मात्र के हृदय में वास करते है।
भगवान को खोजने के लिए दर-दर भटकने से श्रेष्ठï है कि अपने अन्त:करण को शुद्घ रखकर सदैव उनका नाम सुमिरन करते रहें। जो सदैव भगवान का गुणगान करता है उसके सभी कारज भगवान स्वयं सिद्घ करते है।
उन्होनें शनिवार को नरसिंह अवतार के बारे में बताते हुए कहा कि स्वयं भगवान प्रहलाद भक्त की भक्ति के वशीभूत होकर खम्बा फाडक़र प्रकट हुए थे तथा हिरणाकश्यप के आतंक से मुक्ति दिलाई थी। पं. दाधीच ने मां की महिमा का बखान करते हुए बताया कि मां की ममता के वशीभूत होकर भगवान भी बार-बार मनुष्य रूप में मां की कोख से जन्म लेने को तरसते है।
कथा के दौरान डीडवाना के भजन गायक लक्ष्मीनारायण काकड़ा ने ‘तारा है सारा जमाना, श्याम हमको भी तारो’ सरीखे भजनों की प्रस्तुति देकर भावविभोर कर दिया। श्रीमद्ïभागवत के चौथे दिन शनिवार को श्रीकृष्ण जन्मोत्सव भी मनाया गया। इस दौरान ‘हाथी घोड़ा पालकी, जय कन्हैयालाल की’ से पांडाल गूंज उठा।

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