परमेश्वर से बड़ा कोई मित्र नहीं




श्रीमद्भागवत कथा का समापन
पं. अशोक भाई दाधीच ने कहा कि जीवन में मित्रता का होना जरूरी है। सच्चा मित्र वही है जो अपनी मित्रता पर समर्पित हो। उन्होनें श्रीकृष्ण-सुदामा मित्रता के प्रसंग को भावपूर्ण शैली में सुनाते हुए कहा कि परब्रह्मï परमेश्वर से बढक़र कोई मित्र नहीं है। साक्षात्ï परमात्मा ही नि:स्वार्थ मित्र बन सकते है।
वे मंगलवार को श्रीमद्भागवत कथा सप्ताह के तहत प्रवचन कर रहे थे। श्रीबेगसरबालाजी मन्दिर में आयोजित कथा के अंतिम दिन की कथा में उन्होनें कहा कि गुरूजनों के सत्संग के बिना एवं परमात्मा के चिंतन बिना सद्-असद् का ज्ञान नहीं होता है। जब तक अज्ञान रहता है तब तक जीव मुक्त नहीं हो सकता। उन्होनें कहा कि जीव तो नौका है और संसार समुद्र है। नाम सुमिरण पतवार है, जबकि परमात्मा मंजिल है। इसलिये परमात्मा को पाने के लिये सत्संग करना चाहिए।
दाधीच ने कथा सप्ताह के समापन के अवसर पर कहा कि भागवत महापुराण भगवान की लीलाओं का वर्णन की कथा ही नहीं है वरन्ï जीवन रूपी नौका को तारने का माध्यम है। भागवत कथा श्रवण से जन्म-जन्मांतरों के पाप धुल जाते है। कथा के समापन के मौके पर आयोजक डीडवाना के बेगसरवाला परिवार की ओर से विशिष्टजनों का अभिनन्दन किया गया। मंदिर प्रांगण में बुधवार को हवन का आयोजन किया जाएगा। जिसमें श्रद्धालुओं द्वारा विश्व कल्याण एवं सुख समृद्धि की कामना से आहूतियां दी जाएगी।

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