भगवन्नाम का जाप, धोए जन्मांतरों के पाप
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भागवत कथा के तीसरे दिन पं.अशोक भाई शास्त्री ने कहा
मानवजीवन के उद्देश्य की प्राप्ति के लिए सत्-चित-आनन्द स्वरूप परमात्मा का सुमिरन करना चाहिए। भगवन्नाम सुमिरन से जन्म जन्मांतर के पाप धुल जाते है। उक्त विचार पं. अशोक भाई शास्त्री ने व्यक्त किए। वे शुक्रवार को श्रीबेगसरबालाजी मन्दिर में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा सप्ताह के तहत कथा प्रवचन कर रहे थे।
डीडवाना के बेगसरवाला परिवार की ओर से अपने पिताजी मोहनलाल अग्रवाल एवं माताजी किस्तूरीदेवी अग्रवाल की स्मृति में आयोजित भागवत कथा में उन्होनें कहा कि मानव जीवन व्यर्थ नहीं गंवाना चाहिए।
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अनेक जन्मों के पुण्य कर्मों के प्रताप से मानव तन मिलता है। परमपिता परमात्मा की प्राप्ति ही मानव जीवन का उद्देश्य है। शास्त्री ने बताया कि मानव के लिए मर्यादाओं का निर्माण भी किया गया है। जिनकी नियमपूर्वक पालना करने वाला दुखी हो नही होता। मगर ईश्वर की बनाई मर्यादाओं का उल्लंघन करने वालों को इसका प्रतिफल जरूर मिलता है।
शास्त्री ने कहा कि शास्त्रों में माता, पिता व गुरू का स्थान परम माना गया है। लेकिन वर्तमान में इन तीनों की ही उपेक्षा होने लगी है। इसी से मनुष्य का पतन हो रहा है। जबकि मनुष्य को जन्म के पश्चात ही दुनियादारी में सफल जीवन जीने में माता पिता व गुरू का ही हाथ होता है। इस कारण माता-पिता एवं गुरू की सेवा ही ईश्वर सेवा है।
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मन्दिर में उमड़ रही है भीड़
मन्दिर मे चल रही भागवत कथा श्रवण के लिए श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ रही है। प्रतिदिन सुबह ८ बजे से मध्याह्न ११बजे एवं दोपहर ३ से ६ बजे तक कथा प्रवचन किया जा रहा है।
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