श्रीमद्भागवत कथा का दूसरा दिन



‘भगवान स्वयं उपस्थित होकर सुनते है कथा’


जहां-जहां भी परमपिता परमात्मा के लीलावतारों की कथा- प्रवचन और गुणगान होता है वहां पर भगवान स्वयं सूक्ष्म रूप में उपस्थित होकर कथा का श्रवण करते है। उक्त विचार पं. अशोक भाई शास्त्री श्रीबेगसरबालाजी मन्दिर में आयोजित श्रीमद्ïभागवत कथा सप्ताह के दूसरे दिन गुरूवार को व्यक्त किए।
उन्होनें श्रीमद्भागवत महापुराण पर प्रवचन के दौरान सत्संग की महिमा का बखान करते हुए कहा कि दुनिया भर में आज अराजकता का माहौल बन रहा है। मगर इसके बावजूद सत्संग के कारण यह पृथ्वी मौजूद है। अन्यथा कब का प्रलय हो जाता। उन्होनें कहा कि जब-जब भी धरती पर पाप और अत्याचार बढ़े है। तब भगवान ने स्वयं विविध रूपों में अवतार लेकर पापियों-अत्याचारियों का संहार कर अपने भक्तों को भयमुक्त किया है। त्रेता युग में भी जब पृथ्वी पर लंका नरेश एवं राक्षसराज रावण के पाप अत्याधिक बढ़ गए थे। उस समय भगवान श्रीराम के रूप में रधुकुल में नर रूप में अवतार लेना पड़ा था।
इसी प्रकार द्वापर युग में कंस के अत्याचारों से अपने भक्तों को मुक्त कराने के उद्देश्य से श्रीकृष्ण के रूप में अवतार लिया था।
शास्त्रीजी ने कथा के दूसरे दिन महाभारत काल में भगवान की लीलाओं के विभिन्न प्रसंगों का उल्लेख करते हुए कहा कि जो आपसे दुश्मनी रखता है उससे प्रेम कीजिए, वह अपने आप दुश्मनी भूल जाएगा। उन्होनें बताया कि वर्तमान समय में हमें संस्कारविहीन करने का कुचक्र चलाया जा रहा है। जिसके कारण मानव पथभ्रष्टï होता जा रहा है। मगर संतों के बताए मार्ग का अनुसरण कर एवं भगवन्नाम के सुमिरन से समूचे विश्व का कल्याण संभव है।
मन्दिर में डीडवाना के बेगसरवाला परिवार की ओर से मोहनलाल अग्रवाल एवं किस्तूरीदेवी अग्रवाल की स्मृति में आयोजित कथा सप्ताह में प्रतिदिन प्रात: ८ बजे से ११ बजे एवं दोपहर ३ बजे से ६ बजे तक संगीतमयी कथा चल रही है।

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