अमृतधारा है गीता का ज्ञान


श्रद्धालुओं ने ठुमके लगाए
‘माता-पिता और गुरू की सेवा करने वाला ही स्वर्ग का अधिकारी है मगर माता पिता को कष्टï देने तथा गुरू के आदेशों की अवहेलना करने वाला बुद्घिमान होने पर भी ब्रह्मïराक्षस के समान होता है।’

उक्त विचार श्रीबेगसरबालाजी मन्दिर में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा सप्ताह में रविवार को पं. अशोक भाई दाधीच ने व्यक्त किए।
कथा सप्ताह के पांचवें दिन कथावाचन करते हुए उन्होनें कहा कि भागवत गीता की शिक्षाएं मानवमात्र के लिए महत्वपूर्ण है। इसके श्रवण पठन से सब दु:खो का नाश होकर मोक्ष मिलता है। वह प्राणी बैकुण्ठ धाम को प्राप्त होता है।
इस अवसर पर उन्होने कहा कि भागवत गीता भगवान कृष्ण के मुखारबिन्द से निकली अमृतधारा है। जिसका लाभ इस कलयुग में भाग्यशाली को ही मिल सकता है। जो प्राणी इसका नित्य पाठ करता है उसे जन्म-मरण के बन्धनों से मुक्ति मिलती है।
डीडवाना के बेगसरवाला परिवार की ओर से आयोजित कथा में रविवार को भगवान बालकृष्ण की लीलाओं का गुणगान किया गया। इस मौके पर भजन-कीर्तन की धुन पर श्रद्धालुओं ने ठुमके लगाए। कथा के दौरान कथावाचक पं. दाधीच ने पुरूषोत्तम मास की एकादशी का महत्व समझाया।


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