श्रीबेगसरबालाजी स्वर्णजयंति महोत्सव : द्वितीय दिवस

*सुन्दरकाण्ड पर व्याख्यान में पं. मेहता ने बताए सफलता के सूत्र
*यज्ञ में आहूतियां देकर की सुख समृद्धि की कामना
*बेगसरबालाजी मन्दिर का स्वर्णजयंति महोत्सव

*सजी भक्ति संध्या
जीवन प्रबन्धन सूत्र के प्रणेता पं. विजयशंकर मेहता ने कहा कि यह सफलता प्राप्त करने का समय है। सफलता केवल व्यवसाय अथवा दुनियादारी में ही नहीं वरन् गृहस्थी में, विद्यार्थी के रूप में और महत्वपूर्ण पद पर रहते हुए अर्जित करनी है। वे बेगसरबालाजी मन्दिर के स्वर्णजयंति महोत्सव के दूसरे दिन बुधवार को सुन्दरकाण्ड पर व्याख्यान दे रहे थे।  उन्होनें कहा कि हनुमानजी से सीखा जाए कि सबसे पहले सक्रियता, उसके बाद सजगता, फिर संघर्ष और समर्पण व संवेदनशीलता। जब इनका मणिकांचन योग जीवन में होता है तब सफलता सुनिश्चित और स्थाई होती है। पं. मेहता ने अपने प्रवचन में कहा कि हनुमानजी के चरित्र को जानने के लिए सुंदरकाण्ड सबसे अच्छा साहित्य है। सुन्दरकांड व्यक्तित्व विकास की पूरी पाठशाला है। आंजनेय हनुमान जीवन प्रबन्धन के प्रथम गुरू है। इसलिए सुन्दरकाण्ड की प्रत्येक चौपाई में सफलता के सूत्र समाहित है। उन्होनें बताया कि हनुमानजी का पूरा पराक्रम यह बताता हँ कि जीवन में हमें पुरूषार्थ करते हुए अपने लक्ष्य कैसे प्राप्त करना है। युवा वर्ग अपनी पीढ़ी का सम्मान करते हुए पूरे जोश के साथ लक्ष्य को प्राप्त कैसे करें यह भी सुंदरकाण्ड से जाना जा सकता है।
हनुमत् गायत्री यज्ञ में आहूतियां देते श्रद्धालु

आहूतियां देकर की सुख समृद्धि की कामना
इससे पूर्व बुधवार सुबह मन्दिर परिसर में हनुमद्-गायत्री यज्ञ आयोजित किया गया। गायत्री परिवार की ओर से आयोजित यज्ञ में श्रद्धालुओं ने सुख समृद्धि और विश्वकल्याण के निमित्त आहूतियां दी। यज्ञाचार्य साहिबसिंह वर्मा ने गायत्री, हनुमान और यज्ञ की व्याख्या करते हुए इसे जीवन में उतारने का संदेश दिया। सायं संगीतमय सुन्दरकाण्ड का पाठ किया गया।
‘मंगलमूरति मारूतिनंदन...’
स्वर्णजयंति कार्यक्रमों की शृंखला में मंगलवार रात्रि विरासत दी हेरिटैज की ओर से भक्ति संगीत का आयोजन किया गया। विरासत के कलाकार दिलीप खां ने गणेशवंदना से संध्या का आगाज किया। उन्होनें राग मालकौंस में ‘बेगसरबालाजी महाराज पधारो भक्त सुधारण काज’ से बेगसरबालाजी की स्तुति की। गणपत दमामी ने ‘हे जगवन्दन, मारूतिनन्दन सुनलो मेरी पुकार’ और ‘मंगलमूरति मारूतिनंदन’ की प्रस्तुति दी। शास्त्रीय संगीत के गायक बाबू खान ने राग दरबारी में ‘’राखो अपने बिरद की लाज’ और राग भैरवी में ‘बाट चलत नहीं चुनरी रंग डारी श्याम’ पेश कर शास्त्रीय संगीत का रस घोल दिया।
आज के कार्यक्रम
स्वर्णजयंति महोत्सव के तीसरे दिन गुरूवार को सुबह ७ बजे योगसत्र में हनुमानचालीसा के साथ ध्यान का अभ्यास कराया जाएगा। मन्दिर में ९ बजे से गायत्री परिवार द्वारा आयोजित हनुमत गायत्री यज्ञ की पूर्णाहूति होगी। मध्याह्न १ से ४ बजे तक पं. मेहता द्वारा हनुमान चालीसा से जीवन प्रबन्धन के सूत्र विषयक व्याख्यान होगा। वहीं सायं ७ बजे से सामूहिक संगीतमय हनुमान चालीसरा पाठ किया जाएगा।

श्रीसालासर बालाजी मन्दिर में पं. विजयशंकरजी मेहता का अभिनन्दन करते पुजारी परिवार के सदस्य।

श्रीसालासर बालाजी मन्दिर के बाहर  पं. विजयशंकरजी मेहता।




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